लेबनान में संघर्ष: गाजा में काम करने वाले डॉक्टर का डर और चिंता
हाल के दिनों में इज़राइली हवाई हमले, जो लेबनान में हिज़बुल्लाह के ठिकानों को निशाना बना रहे हैं, ने न केवल वहां की सुरक्षा स्थिति को प्रभावित किया है, बल्कि लेबनान के स्वास्थ्य सेवा तंत्र को भी गंभीर रूप से नुकसान पहुँचाया है। इस संकट के बीच, एक डॉक्टर की कहानी सामने आई है, जो गाजा में काम कर चुके हैं और अब उन्हें लेबनान के हालात देखकर अपने पुराने अनुभवों की यादें ताजा हो रही हैं। डॉक्टर थाएर अहमद, जो इस समय लेबनान में चिकित्सा सेवाएं प्रदान कर रहे हैं, उन्होंने सीएनएन से बातचीत में बताया कि किस तरह से ये हमले उन्हें गाजा में बिताए गए अपने समय की याद दिला रहे हैं और उनका डर बढ़ता जा रहा है कि यह संघर्ष अब और भी अधिक बढ़ सकता है।
गाजा और लेबनान: संघर्षों के बीच समानताएं
डॉक्टर थाएर अहमद की तुलना में कई डॉक्टरों ने भी संघर्ष क्षेत्रों में कार्य किया है, लेकिन उनका अनुभव अद्वितीय है। गाजा और लेबनान दोनों ही क्षेत्रों में युद्ध और संघर्ष की घटनाओं ने वहां के नागरिकों और चिकित्सा सेवा कार्यकर्ताओं को एक बहुत ही कठिन स्थिति में डाल दिया है। इज़राइल और हिज़बुल्लाह के बीच बढ़ते तनाव के कारण, लेबनान की स्वास्थ्य प्रणाली पर भी भारी दबाव पड़ा है। हवाई हमलों के चलते अस्पतालों को नुकसान हो रहा है, जिससे मरीजों के इलाज में बाधा आ रही है। यह स्थिति डॉक्टर अहमद के लिए बिल्कुल वैसी ही है, जैसी उन्होंने गाजा में देखी थी।
लेबनान के स्वास्थ्य प्रणाली पर बढ़ता संकट
लेबनान में इज़राइली हवाई हमलों ने वहाँ के अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों को भी नुकसान पहुँचाया है। कई अस्पतालों ने स्थिति को संभालने में कठिनाई महसूस की है क्योंकि वे पहले से ही आर्थिक संकटों से जूझ रहे थे। हिज़बुल्लाह के ठिकानों को निशाना बनाते हुए हमले केवल सैन्य ढांचे को ही नहीं, बल्कि नागरिक सुविधाओं को भी प्रभावित कर रहे हैं। इससे एक भयावह स्थिति उत्पन्न हो गई है, जहां नागरिकों की जान को खतरा हो रहा है और डॉक्टरों के लिए मरीजों का इलाज करना बेहद मुश्किल हो गया है।
डॉक्टर अहमद ने इस बारे में कहा, “यह बिल्कुल वही स्थिति है, जो मैंने गाजा में देखी थी, जब अस्पतालों को तबाह किया गया था और लोगों को इलाज की बुनियादी सुविधाएं भी नहीं मिल रही थीं।”
गाजा में काम करने का अनुभव: संघर्ष और पीड़ा की यादें
डॉक्टर थाएर अहमद ने गाजा में भी युद्ध के दौरान चिकित्सा सेवाएं प्रदान की हैं। वहां की स्थिति बहुत कठिन थी क्योंकि मेडिकल संसाधनों की भारी कमी थी और अस्पतालों पर लगातार हमले हो रहे थे। उन्होंने कहा कि गाजा में जो अनुभव उन्होंने पाए, वही अब लेबनान में भी उनके सामने आ रहे हैं। लेबनान में भी अस्पतालों में बढ़ते दबाव के कारण उन्हें एक बार फिर वही संघर्ष महसूस हो रहा है, जो गाजा में था।
उनकी यह चिंता इसलिए भी बढ़ गई है क्योंकि हवाई हमलों में बढ़ोतरी के साथ-साथ नागरिकों की मौत का आंकड़ा भी लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि चिकित्सकों के लिए यह स्थिति बेहद चुनौतीपूर्ण है क्योंकि युद्ध में केवल सैन्य ठिकानों को ही निशाना नहीं बनाया जाता, बल्कि आम नागरिक और स्वास्थ्य सेवा संस्थान भी इसका शिकार बनते हैं।
इस स्थिति का क्या असर हो सकता है?
लेबनान में बढ़ते संघर्ष का असर न केवल वहां के नागरिकों पर होगा, बल्कि इससे स्वास्थ्य सेवाओं पर भी भारी प्रभाव पड़ेगा। डॉक्टर अहमद का कहना है कि यदि यह स्थिति इसी तरह बनी रहती है, तो लेबनान की स्वास्थ्य प्रणाली पूरी तरह से ढह सकती है, जिससे नागरिकों को आवश्यक उपचार और चिकित्सा सुविधाएं प्राप्त करना कठिन हो जाएगा। यह संकट लेबनान में रहने वाले लाखों लोगों के लिए एक नई चुनौती बन सकता है।
इसके अलावा, इस संघर्ष का प्रभाव क्षेत्रीय और वैश्विक राजनीति पर भी पड़ेगा। जैसा कि गाजा में संघर्ष के दौरान हुआ था, यह युद्ध केवल स्थानीय नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रभाव डाल सकता है। डॉक्टर अहमद ने चेतावनी दी है कि अगर इस संघर्ष को जल्दी समाप्त नहीं किया गया, तो इसका असर पूरी मध्य-पूर्वी राजनीति पर पड़ सकता है।
लेबनान में शांति की आवश्यकता
डॉक्टर थाएर अहमद ने अपनी बातों में शांति की आवश्यकता को भी प्रमुखता दी। उन्होंने कहा, “यहां की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पहले से ही आर्थिक संकटों से जूझ रही है, और अब यदि यह युद्ध और भी बढ़ता है तो इसके परिणाम बहुत ही भयानक हो सकते हैं।” उनका मानना है कि जल्द से जल्द शांति की स्थापना जरूरी है, ताकि नागरिकों को राहत मिल सके और अस्पतालों में इलाज की सुविधाएं बहाल की जा सकें।
डॉक्टर थाएर अहमद का अनुभव गाजा और लेबनान में स्वास्थ्य सेवा और युद्ध के बीच के संबंधों को उजागर करता है। संघर्ष के समय स्वास्थ्य प्रणाली पर जो दबाव बढ़ता है, वह केवल चिकित्सा सेवाओं को ही प्रभावित नहीं करता, बल्कि नागरिकों की जान भी संकट में डालता है। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए, यह आवश्यक हो जाता है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इस संघर्ष को शांत करने की दिशा में कदम बढ़ाए, ताकि निर्दोष नागरिकों की जान को बचाया जा सके और युद्ध के असर को कम किया जा सके।