नई दिल्ली: जब कोई व्यक्ति लोन की ईएमआई चुकाने में असमर्थ होता है, तो उसे बैंक या लोन देने वाली कंपनी के शोषण का शिकार नहीं होना पड़ता। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने लोन डिफॉल्टरों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए कई महत्वपूर्ण प्रावधान किए हैं। इन नियमों के तहत, लोन डिफॉल्टर्स को न केवल समय दिया जाता है, बल्कि उनकी संपत्ति की नीलामी और वसूली के दौरान भी उनके अधिकार सुनिश्चित किए जाते हैं।
यदि आपका लोन डिफॉल्ट हो गया है या आप लोन चुकाने में परेशानी महसूस कर रहे हैं, तो यह जानना बेहद ज़रूरी है कि आपके पास क्या अधिकार हैं।
1. नोटिस का अधिकार (Right to Notice)
जब आप अपनी ईएमआई चुकाने में असमर्थ होते हैं, तो बैंक आपको पहले एक नोटिस भेजती है। इस नोटिस का उद्देश्य आपको कर्ज चुकाने का एक और मौका देना है। यह नोटिस 60 दिन का हो सकता है। अगर इस समय तक भुगतान नहीं होता, तो बैंक आपको 30 दिन का सार्वजनिक नोटिस भेजेगी, जिसमें संपत्ति की नीलामी के बारे में जानकारी होगी।
क्या करें?
- यदि बैंक आपके लोन को एनपीए (Non-Performing Asset) घोषित कर देती है, तो आपसे संपर्क करने का अधिकार बैंक का है, लेकिन आपको अपना पक्ष रखने का पूरा अवसर मिलेगा।
2. सही मूल्य सुनिश्चित करने का अधिकार (Right to Ensure Fair Valuation)
अगर आपके पास 60 दिन का समय है और फिर भी कर्ज का भुगतान नहीं होता, तो बैंक आपकी संपत्ति की नीलामी कर सकती है। लेकिन इस नीलामी से पहले, बैंक को आपको संपत्ति की सही वैल्यू और नीलामी के बारे में जानकारी देनी होती है।
क्या करें?
- आप बैंक द्वारा निर्धारित संपत्ति की कीमत पर आपत्ति दर्ज कर सकते हैं और बेहतर मूल्य प्राप्त करने के लिए खुद भी खरीदारों से संपर्क कर सकते हैं।
3. बाकी रकम प्राप्त करने का अधिकार (Right to Recover Surplus Amount)
अगर बैंक आपकी संपत्ति की नीलामी कर देती है और बकाया राशि पूरी तरह से वसूल हो जाती है, तो जो अतिरिक्त रकम बचती है, वह आपको वापस की जाती है।
क्या करें?
- नीलामी प्रक्रिया का ध्यान रखें और यह सुनिश्चित करें कि आपको बची हुई राशि लौटाई जाए।
4. सुनवाई का अधिकार (Right to Hearing)
अगर आपके खिलाफ संपत्ति की नीलामी या कब्जा करने की कार्रवाई की जा रही है, तो आपको यह अधिकार है कि आप अपनी स्थिति को उचित अधिकारी के सामने रख सकें।
क्या करें?
- आप अपने आपत्ति को अधिकृत अधिकारी के पास दर्ज करवा सकते हैं। अधिकारी को 7 दिनों के अंदर आपकी आपत्ति का जवाब देना होता है।
5. मानवीय व्यवहार का अधिकार (Right to Humane Treatment)
आरबीआई ने स्पष्ट रूप से निर्देश दिए हैं कि बैंकों और लोन वसूली एजेंटों को ग्राहकों के साथ मानवीय व्यवहार करना होगा।
क्या करें?
- लोन वसूली एजेंटों को आपको परेशान करने का अधिकार नहीं है। वे केवल सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे के बीच ही आपसे संपर्क कर सकते हैं और निर्धारित स्थानों पर ही आपके साथ संवाद कर सकते हैं।
निष्कर्ष
यदि आप लोन डिफॉल्टर हैं, तो भारतीय कानून आपके अधिकारों की पूरी सुरक्षा करता है। किसी भी गलत या अन्यायपूर्ण कार्रवाई को रोकने के लिए आपके पास कई अधिकार हैं, जैसे कि नोटिस मिलने का अधिकार, संपत्ति की सही कीमत तय करने का अधिकार, नीलामी के बाद अतिरिक्त रकम प्राप्त करने का अधिकार, सुनवाई का अधिकार, और मानवीय व्यवहार का अधिकार।
इन अधिकारों का सही तरीके से उपयोग करके आप अपने वित्तीय संकट से बाहर निकल सकते हैं और अपनी स्थिति को सुधार सकते हैं।