भविष्य के सर्च और रेस्क्यू हीरो: साइबोर्ग कीट
क्या आपने कभी सोचा है कि भूकंप या आपदा के दौरान जीवित लोगों को ढूंढने का काम रोबोट या कीड़े कर सकते हैं? यह सपना जल्द ही हकीकत बन सकता है। साइबोर्ग कीट, जैसे कि कॉकरोच और बीटल्स, तकनीक और जीव विज्ञान का अनोखा मेल हैं। इन जीवों को छोटे सर्किट बोर्ड से जोड़ा जाता है, जो उनकी हरकतों को नियंत्रित कर सकते हैं।
साइबोर्ग कीट क्या हैं?
साइबोर्ग कीट वे जीव हैं, जिनमें इलेक्ट्रॉनिक उपकरण लगाए जाते हैं। इन उपकरणों के माध्यम से वैज्ञानिक इनकी हरकतों को नियंत्रित कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी के छात्र, लैचलन फिट्जगेराल्ड ने बीटल्स पर छोटे बैकपैक लगाए हैं, जो इनके एंटीना के माध्यम से संकेत भेजते हैं।
“साइबोर्ग कीट प्राकृतिक वातावरण में अधिक अनुकूल होते हैं, जबकि पारंपरिक रोबोट इतने जटिल परिदृश्यों में आसानी से काम नहीं कर पाते,” फिट्जगेराल्ड कहते हैं।
इनका उपयोग कैसे होता है?
साइबोर्ग कीटों का सबसे बड़ा फायदा आपदा के दौरान उनकी उपयोगिता है। वे छोटे और तेज़ हैं, जिससे वे मलबे के नीचे छिपे लोगों को ढूंढ सकते हैं।
संभावित उपयोग:
- सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन
भूकंप, बम विस्फोट, और अन्य शहरी आपदाओं में, यह कीट जीवित व्यक्तियों का पता लगाकर उनकी स्थिति की जानकारी दे सकते हैं। - जीवन रक्षक दवाओं की डिलीवरी
यह कीट दवाओं को आपदा प्रभावित लोगों तक पहुंचा सकते हैं, जब तक कि इंसानी रेस्क्यू टीम पहुंच न जाए। - डिजास्टर ज़ोन का नक्शा बनाना
साइबोर्ग कीट, सेंसर के साथ, पर्यावरणीय स्थितियों की जानकारी इकट्ठा कर सकते हैं।
तकनीकी प्रक्रिया
कैसे बनाए जाते हैं साइबोर्ग कीट?
- सर्जिकल प्रोसेस: कीट को बेहोशी देने के लिए बर्फ के पानी में डुबोया जाता है।
- इलेक्ट्रॉनिक बैकपैक लगाना: एक छोटे सर्किट बोर्ड को कीट की पीठ पर लगाया जाता है।
- हरकत नियंत्रित करना: बैकपैक के सिग्नल्स से कीट के एंटीना को निर्देशित किया जाता है।
नियंत्रित गति
इन कीटों को तब ही निर्देशित किया जाता है, जब वे अपने रास्ते से भटक जाते हैं। यह तकनीक प्राकृतिक गति को बनाए रखते हुए इंसानी नियंत्रण सुनिश्चित करती है।
साइबोर्ग कीट बनाम रोबोट
क्यों बेहतर हैं कीट?
- नेविगेशन की क्षमता: कीट आसानी से विभिन्न प्रकार के वातावरण में खुद को ढाल सकते हैं।
- स्मॉल साइज: कीट छोटे और हल्के होते हैं, जिससे वे मलबे के नीचे पहुंच सकते हैं।
- लो कॉस्ट टेक्नोलॉजी: पारंपरिक रोबोट के मुकाबले साइबोर्ग कीट बनाना सस्ता है।
नैतिक सवाल
साइबोर्ग कीटों के उपयोग को लेकर कुछ नैतिक चिंताएँ हैं।
- क्या इन जीवों को दर्द होता है?
- क्या इनका जीवनकाल प्रभावित होता है?
फिट्जगेराल्ड का दावा है कि इन बैकपैक से कीटों का जीवन सामान्य रहता है। “मुझे नहीं लगता कि यह उन्हें कोई तकलीफ देता है,” वे कहते हैं।
अन्य जीवों पर अनुसंधान
बायोहाइब्रिड रोबोट्स
- जेलीफिश: कैलिफ़ोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिक जेलीफिश में इलेक्ट्रॉनिक पेसमेकर लगाकर उनकी तैराकी की गति नियंत्रित कर रहे हैं।
- मशरूम आधारित रोबोट्स: कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने किंग ऑयस्टर मशरूम से नियंत्रित रोबोट बनाए हैं।
भविष्य की संभावना
भले ही यह तकनीक अभी शुरुआती दौर में है, लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि अगले कुछ दशकों में यह तकनीक जीवन बचाने में क्रांतिकारी साबित हो सकती है।
साइबोर्ग कीटों का उपयोग न केवल आपदाओं में मददगार साबित हो सकता है, बल्कि यह तकनीक रोबोटिक्स और जीव विज्ञान के क्षेत्र में एक नई दिशा भी दिखाती है। फिट्जगेराल्ड कहते हैं, “इस तकनीक की क्षमता इतनी बड़ी है कि इसे अपनाने में किसी भी हिचकिचाहट का त्याग करना चाहिए।”