Tuesday, December 10, 2024
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    गुजरात में फर्जी डॉक्टरों का भंडाफोड़: 2002 से जारी था नकली डिग्री का रैकेट

    गुजरात में नकली डिग्री का भंडाफोड़: 1200 फर्जी डॉक्टर तैयार

    सूरत पुलिस ने हाल ही में एक बड़े नकली डिग्री रैकेट का पर्दाफाश किया, जिसमें 13 फर्जी डॉक्टर गिरफ्तार हुए। यह खुलासा 2002 से चल रहे एक ऐसे गोरखधंधे को सामने लाता है, जिसमें ₹75,000 में नकली मेडिकल डिग्रियां बेची जा रही थीं।


    कैसे हुआ रैकेट का पर्दाफाश?

    प्रारंभिक छापेमारी और गिरफ्तारियां

    पांडेसरा थाना पुलिस ने एक विशेष ऑपरेशन के दौरान तीन अलग-अलग फर्जी डॉक्टरों को गिरफ्तार किया। पूछताछ के दौरान इन डॉक्टरों ने बताया कि उन्हें नकली डिग्रियां रशेष गुजराथी नाम के व्यक्ति ने बेची थीं।

    रशेष गुजराथी का नेटवर्क

    रशेष गुजराथी ने 2002 में सूरत के गोपीपुरा इलाके में गोविंद प्रभाव आरोग्य संकुल ट्रस्ट की स्थापना की। इसके तहत उन्होंने इलेक्ट्रो होम्योपैथिक की शिक्षा देने के नाम पर एक कॉलेज खोला। लेकिन वास्तविकता में, यह कॉलेज सिर्फ एक नकली डिग्री फैक्ट्री बन गया था।


    ₹75,000 में बिक रही थीं नकली डिग्रियां

    डिग्री की प्रक्रिया

    गुजराथी और उसके सहयोगी डॉक्टर बीके रावत ने मिलकर एक ऐसा सिस्टम बनाया, जिसमें किसी को भी ₹75,000 देकर BEMS की डिग्री, मार्कशीट, और रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट मिल सकता था।

    क्लीनिक खोलने की सहायता

    डिग्री प्राप्त करने वाले फर्जी डॉक्टरों को आश्वासन दिया गया कि अगर उन्हें कोई दिक्कत होती है तो गुजराथी की टीम उनकी मदद करेगी।

    डिजिटल ट्रैप

    डिग्री की वैधता दिखाने के लिए डॉक्टर बीके रावत ने एक वेबसाइट भी तैयार की थी। इस वेबसाइट पर फर्जी डॉक्टरों का रजिस्ट्रेशन किया जाता था, जिससे किसी को डिग्री की असली पहचान करना मुश्किल हो जाता था।


    क्लीनिक पर छापेमारी: मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़

    पुलिस की सख्त कार्रवाई

    सूरत पुलिस ने विभिन्न इलाकों में छापेमारी की, जिनमें तुलसी धाम सोसाइटी के कविता क्लिनिक, ईश्वर नगर के श्रेयान क्लिनिक, और रणछोड़ नगर के प्रिंस क्लिनिक शामिल थे।

    मेडिकल उपकरण और नकली दवाइयां जब्त

    इन क्लीनिकों से पुलिस ने इलेक्ट्रो होम्योपैथिक, एलोपैथिक दवाइयां, इंजेक्शन, और सिरप जब्त किए। कुल मिलाकर, पुलिस ने 55,210 रुपये की सामग्री और दस्तावेज बरामद किए।


    रशेष गुजराथी का गोरखधंधा: 2002 से जारी था फर्जीवाड़ा

    कम मेहनत, ज्यादा मुनाफा

    गुजराथी ने इलेक्ट्रो होम्योपैथिक कोर्स की कम लोकप्रियता और छात्रों की अनिच्छा को देखते हुए नकली डिग्री का धंधा शुरू किया। यह गोरखधंधा डॉक्टर बीके रावत के सहयोग से फलता-फूलता गया।

    फर्जी सर्टिफिकेट का कारोबार

    गुजराथी के घर से पुलिस ने रजिस्ट्रेशन फॉर्म, नकली सर्टिफिकेट, मार्कशीट, और अन्य दस्तावेज जब्त किए। इन दस्तावेजों का इस्तेमाल सैकड़ों नकली डॉक्टरों को तैयार करने में किया गया था।


    नकली डॉक्टरों का प्रभाव: जनता की सुरक्षा पर खतरा

    मरीजों की जान से खिलवाड़

    गिरफ्तार किए गए फर्जी डॉक्टर क्लिनिक चलाकर मरीजों का इलाज कर रहे थे। उनके पास न तो कोई मेडिकल ज्ञान था और न ही इलाज का सही तरीका। इससे मरीजों की जान खतरे में थी।

    स्वास्थ्य विभाग की भूमिका

    स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी पुलिस के साथ इस कार्रवाई में शामिल थे। यह सुनिश्चित किया गया कि गिरफ्तार किए गए डॉक्टरों की पहचान और उनके क्लीनिक बंद किए जाएं।


    भविष्य की चुनौतियां और समाधान

    फर्जी डॉक्टरों पर सख्त कार्रवाई

    पुलिस और स्वास्थ्य विभाग को ऐसे रैकेट्स पर नकेल कसने के लिए सतर्कता बढ़ानी होगी।

    जनता की जागरूकता

    मरीजों को चाहिए कि वे डॉक्टरों की डिग्री और प्रमाणपत्र की जांच करें।

    डिजिटल सुरक्षा

    फर्जी डिग्रियों की वैधता साबित करने वाले ऑनलाइन पोर्टल्स को नियमित निगरानी में रखा जाना चाहिए।


    गुजरात में फर्जी डॉक्टरों का यह मामला जनता की सुरक्षा और स्वास्थ्य पर बड़ा खतरा है। पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की सख्त कार्रवाई ने इस गोरखधंधे का पर्दाफाश किया है। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम ऐसे मामलों के प्रति सतर्क रहें और जरूरत पड़ने पर संबंधित अधिकारियों को जानकारी दें।


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