दिल्ली में प्रदूषण: काले धुंए से ढका शहर, एयरपोर्ट्स पर दृश्यता कम, सरकार ने 39 इंडस्ट्रीज को दी प्रदूषण मंजूरी से छूट
नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली और उत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों में प्रदूषण का स्तर इस समय काफी बढ़ गया है, जिससे घना धुंआ और स्मॉग ने शहर को अपनी चपेट में ले लिया है। दिल्ली में हालात इतने गंभीर हो गए हैं कि एयरपोर्ट्स पर दृश्यता में भारी कमी आई है। विमानों की उड़ानें प्रभावित हो रही हैं और यात्री इससे परेशान हैं। इस बीच, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने 39 ‘व्हाइट कैटेगरी’ इंडस्ट्रीज को प्रदूषण संबंधी मंजूरी से छूट देने का फैसला लिया है।
सरकार का नया फैसला: प्रदूषण के लिहाज से ‘व्हाइट कैटेगरी’ इंडस्ट्रीज को दी छूट
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने 39 इंडस्ट्रीज को प्रदूषण मंजूरी से छूट देने का फैसला लिया है। मंत्रालय ने यह फैसला उन इंडस्ट्रीज के लिए लिया है जो ‘व्हाइट कैटेगरी’ में आती हैं, जिनका प्रदूषण स्तर बहुत ही कम है या जो बिल्कुल भी प्रदूषण नहीं फैलातीं। इस फैसले के तहत इन इंडस्ट्रीज को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड या प्रदूषण नियंत्रण समितियों से पहले से अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी।
क्या है ‘व्हाइट कैटेगरी’ इंडस्ट्रीज?
‘व्हाइट कैटेगरी’ उन इंडस्ट्रीज को कहा जाता है जो बहुत ही कम प्रदूषण करती हैं या प्रदूषण बिल्कुल नहीं करतीं। इनमें एयर कूलर्स और एसी के असेंबली, साइकिल और बेबी कैरिज की असेंबली, चाय का मिश्रण और पैकिंग, फ्लाई ऐश ईंटों का निर्माण और अन्य कम प्रदूषणकारी कार्य शामिल हैं। इन इंडस्ट्रीज को अब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से पहले अनुमति नहीं लेनी पड़ेगी। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने इन इंडस्ट्रीज को प्रदूषण स्तर के आधार पर इस श्रेणी में डाला है।
दृष्टि में कमी और प्रदूषण की स्थिति
दिल्ली में प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण एयरपोर्ट्स पर दृश्यता कम हो गई है। यह स्थिति खासतौर पर विमानों के उड़ान भरने और उतरने के दौरान समस्याएं पैदा कर रही है। विमानों की उड़ानें समय से विलंबित हो रही हैं, और यात्रियों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। प्रदूषण के स्तर ने शहर में जीवन को मुश्किल बना दिया है, और स्वास्थ्य संबंधी जोखिमों का भी सामना करना पड़ रहा है।
क्या है प्रदूषण सूचकांक (PI)?
प्रदूषण सूचकांक (Pollution Index – PI) किसी भी इंडस्ट्री के प्रदूषण स्तर को मापने का एक तरीका है। यह सूचकांक 0 से 100 तक होता है, और इसका बढ़ता हुआ मान यह दर्शाता है कि उस इंडस्ट्री से कितना प्रदूषण फैल रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानकों के अनुसार, इंडस्ट्री के प्रदूषण स्तर का मूल्यांकन उसके द्वारा छोड़े गए उत्सर्जन, प्रदूषणकारी कचरे के उत्पादन और प्राकृतिक संसाधनों की खपत के आधार पर किया जाता है।
‘व्हाइट कैटेगरी’ की इंडस्ट्रीज के लिए आसान नियम
सरकार का यह कदम ‘बिजनेस करने में आसानी’ (Ease of Doing Business) को बढ़ावा देने के लिए लिया गया है। मंत्रालय ने इस कदम को लागू करने के लिए एक नया नियम बनाया है, जिससे इन इंडस्ट्रीज को पहले से तय किए गए ‘कन्सेंट टू एस्टैब्लिश’ (CTE) परमिट और ‘कन्सेंट टू ऑपरेट’ (CTO) परमिट को एक साथ लेने की प्रक्रिया को सरल किया गया है।
निष्कर्ष:
दिल्ली और उत्तर भारत के प्रदूषण स्तर में बढ़ोतरी ने शहरों में स्थितियों को और भी गंभीर बना दिया है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय का यह कदम कुछ राहत देने का काम करेगा, लेकिन प्रदूषण के बढ़ते स्तर से निपटने के लिए ज्यादा ठोस उपायों की आवश्यकता है। साथ ही, सरकार का यह कदम ‘व्हाइट कैटेगरी’ इंडस्ट्रीज को बढ़ावा देने और बिजनेस के लिए आसान बनाने का है। लेकिन क्या यह कदम दिल्ली के बढ़ते प्रदूषण को रोकने में प्रभावी होगा, यह भविष्य में ही तय होगा।
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